ब्रिटेन के उत्तर पश्चिमी शहर विंडरमेरे कम्ब्रिया की रहने वाले 21 साल की एना टेलर ने दुनिया का सबसे कठिन चैलेंज पूरा किया है। एना ने गआना के रोराइमा पर्वत की 2000 फीट की खड़ी चट्टानों की दीवार पर चढ़ाई का टास्क दिसंबर की शुरुआत में पूरा किया। ऐसा करने वाली वह संभावित पहली महिला है। दुनिया की सबसे कठिन खड़ी चढ़ाई करने वाले इस अभियान में 6 सदस्यों का दल था। एना इन 6 सदस्यों में अकेली महिला थी और सबसे युवा भी। लैटिन अमेरिका के देश गयाना के रोराइमा पर्वत तक पहुंचने के लिए टीम के सदस्यों ने 52 किलोमीटर का सफर तय किया।
टीम का नेतृत्व ब्रिटेन के 39 साल के लियो हॉल्डिंग ने किया। इस दौरान टीम का सामना जहरीले सांपों, मकड़ियों, बिच्छू और दलदल वाली जमीन से भी हुआ। पर्वत के शून्य से शिखर तक पहुंचने के लिए टीम ने दो हफ्ते तकचढ़ाई की। इस दौरान सोने और खाने के लिए वह हैंगिंग टेंट का इस्तेमाल करते, जो रस्सियों से बंधे होते थे।
चढ़ाई में दो हफ्ते का समय लगा
मिशन पूरा कर ब्रिटेन पहुंची एना ने बताया, 'यह उसकी जिंदगी का सबसे रोमांचकारी अभियान था। पूरी दीवार सीधी खड़े आकार में हैं। इस पर चढ़ना बहुत कठिन है। हम अपने अभियान के दौरान विशेष प्रकार के टेंट लेकर गए थे, जो कि खड़े ढाल वाली दीवार पर लटकाए जा सकते थे। हम रस्सियों के सहारे चढ़ रहे थे। चढ़ाई के दौरान आराम करने के लिए हमारा आधार 3 चौड़ी और 30 लंबी जगह होती थी। बीच में जब भी मौसम खराब होता था, तब लगता था, पता नहीं शिखर पर पहुंचेंगे या नहीं।'
पर्वत का जिक्र नोवेल और फिल्मों में भी है
पहाड़ी का ऊपरी शिखर 9 हजार फीट का समतल एरिया है। इसके बारे में सर आर्थर कैनन डॉयल के नोवेल 'द लॉस्ट वर्ल्ड' में कहा, 'यह वह जगह है, जहां डायनासोर घूमते थे।' इसका जिक्र 2009 में आई एक एनिमेटेड फिल्म में भी किया गया था। फिल्म का हीरो पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए उसकी मौत के बाद भी सैकड़ोंगुब्बारों से अपने घर को उड़ाकर पर्वत के टॉप पर पहुंचता है।
पर्वत का पहला जिक्र 1595 में किया गया था
इस पर्वत के बारे में 1595 में पहली बार सर वाल्टर रेलै ने जानकारी दी थी। यह एक खड़ी चट्टानी ढाल वाला पर्वत है। इसका ऊपरी भाग समतल है और यह अमेजन बेसिन के गयाना, ब्राजील और वेनेजुएला की सीमा पर स्थित है। पर्वत का निर्माण करीब 20 लाख साल पहले का माना जाता है। यह पठार पूरी तरह से बादलों से घिरा रहता है। वर्षा वनों के बीच होने पर यहां लगभग रोज ही बारिश होती है। यहां अद्वितीय वन्यजीवों की विविधता भी पाई जाती है।